जब कोई बात सिर के ऊपर से जाती है,
बड़े अदब से सिर को झुकता हूँ,
एक हक़िक़त है जिसे मानने से कतराता हूँ,
अब मुश्किलों में मुस्कुराता हूँ,
हाँ ये सच है की खुद की खोज का करवा अब थोड़ा आगे बड़ा लिया है,
ये मुसिबते मेरी साथी है अब इन्ही से दिल लगा लिया है,
और जब आँखो में चेहरा तेरा उतर ही आता है,
ये दिल मेरा सुकून की सांसे ले पाता है,
पर मे आज भी तुझे खोने के डर से घबराता हूँ,
थोड़ा पागल हूँ, मुश्किलों में मुस्कुराता हूँ ।।
वो आँखे जो कभी तुझे देख कर खुशी से भर जाती थी,
आज तुझे ही नज़र अंदाज करना चाहती है,
जब तू गुजरती है मुझसे रुबरु हो कर
आँखे मेरी आज भी भर आती है,
और अब आँखो के आश्क़ो को खुद से छुपाता हूँ,
थोड़ा नादान हूँ मुश्किलो में मुस्कुराता हूँ ।।
नज़रे मिलाती तुम नही और कसूरवार मैं हो जाता हूँ,
याद तुम कभी करती नही और तुम्हे भुल मैं जाता हूँ,
तुम्हे खुद में टटोल कर मै खुद लापता हो जाता हूँ,
तम्हें मनाना भी मुझे आता नही इसलिए खुद से रूठ जाता हूँ,
थोड़ा जिद्दी हूँ मुश्किलों में मुस्कुराता हूँ ।।
इन इश्क़ के तुफानो में कभी मै भी नाव चलाता था,
आन्धियौ में इश्क़ की मशाल मैं जलाता था,
मानो सैलाब आ गया था इश्क़ की बहारो का,
और खुन बह रहा था चारो और दिवारो का...
जा चुकी है दिल में रहने वाली,
अब खुद का हाल खुद को ही सुनता हूँ,
तेरी कुछ यादे मिली है मुझे,
अब उन्ही यादो का मैं घर बनाता हूँ,
तेरा दिवाना हूँ मुश्किलो में मुस्कुराता हूँ ।।
थोड़ा नादान थोड़ा पागल खुद को मैं बताता हूँ,
तुझे याद करके खुद का खुन जलाता हूँ,
रोना मुझे कभी आया ही नही,
इसलिए मुश्किलों में मुस्कुराता हूँ ।।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
the best poem .....i already read lots of poems but for me this is the best one....thank you akash