पहली मुलाकात Poem by KAUSHAL ASTHANA

पहली मुलाकात

नही भूलतीं पहली मुलाकात क्या करें |
आज फिर उठें मिलन के जज़्बात क्या करे ||
वह शाम सुहानी थी झरनों का शोर था |
पहाड़ों की मन भावन बरसात क्या करें ||
बिजली चमक रही थी मेघों की गर्जना |
बाहों में सिमटने के हालात क्या करें ||
हम प्यार में खोये भूलें थे सारे गम |
आयी युगों के बाद हंसी रात क्या करें ||
साँसों की महक से मदहोशी का आलम|
मेहरबां थी सारी कायनात क्या करें ||
नयनो के भाव पढ़ रहे नि: शब्द हम प्रिये |
लरजते ही रहे होठ हम बात क्या करें ||
सब कैसे भूल जाएँ दिल मानता नहीं |
जिसे देख जी रहा वह सौगात क्या करें ||
बीते हुए लम्हे कभी आते न लौट कर|
विचलित किए हुए तुम्हारी याद क्या करें ||


.....................कौशल अस्थाना

Thursday, August 7, 2014
Topic(s) of this poem: love
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