मन Poem by Aftab Alam

मन

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मन// 'दरवेश'

देश लूटने वालों का हो रहा है जय-जय कार
कहो ये कैसा अत्याचार, कहो ये कैसा अत्याचार
आँखे खुली भयभित दिशाएँ, मौन है हर कोई
मन के अंदर कोलाहल है बेचैन है हर कोई
अब फ़ूटेगा कब फ़ूटेगा मन का ज्वाला
नहीं अनल कोई आकाश से आने वाला
गाँव नगर हो या शहर हर जगह है हाहाकार
कहो ये कैसा अत्याचार, कहो ये कैसा अत्याचार
देश लूटने वालों का हो रहा है जय-जय कार//

Sunday, September 21, 2014
Topic(s) of this poem: patriotism
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Aftab Alam

Aftab Alam

RANCHI,
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