जीवन में यदि रही ना आशा,
हटेंगें कैसे ये धुँध कुहासा!
उम्मीद की लौ जला के रखना,
छाई हो भले घोर निराशा! !
पत्थर कैसे हीरा बनता,
कैसे कुंदन बनता सोना!
लगन लगी हो मन में तो,
सब संभव हो जाता होना! !
सूरज मेघ बना लेता है,
सोख के पानी ज़रा ज़रा सा! !
जीवन में.....
एक दिन सूरज ऐसे निकलेगा,
गम के बादल छट जाएँगे!
मंज़िल तुझको मिल जाएगी,
तेरे भी तो दिन आएँगे! !
समय की करवट किसने जानी,
जाने पलट जाए कब पासा! !
जीवन में......
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