Love......Old Story In New Words Poem by Kumar Mohit

Love......Old Story In New Words

' भँवरे भँवरे इधर तो आ, कुछ ख़ास नहीं एक बता;
हमें सुना तू अपनी प्यारी, मीठी मीठी प्रेम कथा;

भंवरा बोला: -

एक उपवन में कई जीव थे, कुछ चलते और कुछ स्थिर;
मैं भी उन संग रहने वाला, वो भी उन संग रहने वाली;
मेरा गुंजन उसे लुभाता, उसकी महक से मैं मोहित;
धीरे धीरे लगा पनपने, प्रेम अनूठा आलोकिक;
जिसने उसको किया सुगंधित, और हुआ मैं सम्मोहित;
उसकी कोमल पंखुड़ियों से, रस की सरिता बहती थी;
मीठी-मीठी महक थी उसकी, जो प्राण मेरे हर लेती थी;
श्याम वर्ण में मुझे मिला ले, मेरे रस को अधर लगाले;
लगे है पवन गुंजन तेरा, हर क्षण मुझसे कहती थी;
रवि उदय के क्षण की आस, अस्थिर हैं मेरे स्वास;
कब आएंगे प्रियतम मेरे, और मिटेगी मेरी प्यास;
जल्दी आओ भ्रमर निराले, हर क्षण खुद से कहती थी;
पर सब दिन होत ना एक समान, और उपवन का भी हुआ नहीं;
मेरे प्रियतम को माली ने, दूजा मौका दिया नहीं;
याद बड़ी उसकी है आती, जब उपवन पर नज़रें जाती;
जन्म दुबारा लूँगी प्रियवर, यही विधि की रीती थी;
कब देगा दर्शन यम के तू, मेरे ईश्वर मुझे बता;
नए जन्म में फिर से होगा, प्रियतम मेरा साथ सदा;
यही थी मेरी और उसकी, मीठी-मीठी प्रेमकथा; '

Sunday, January 11, 2015
Topic(s) of this poem: Love
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