तेरी झलक Poem by Akash solanki

तेरी झलक

Rating: 5.0

तेरी एक झलक को मेरी नजरें तरस जाती हैं,
जब तेरी वो एक तस्वीर मेरी बन्द आँखो में आती हैं,
जब तू ना हो आस पास मेरे,
तेरी याद मुझे सताती है।।

मैं नही चाहता अपनी मुलाक़ात हो,
बस इशारों इशारों में बात हो,
दोस्तों को सुनाने को एक प्यारी सी कहानी हो,
दिल की चाहत है सिर्फ तू मेरी दिवानी हो।।

एक नज़र तू भी मिलाले मुझसे,
मेरे दिल को भी राहत हो,
हो चाहते मुकम्मल मेरी,
तेरे दिल में भी मेरी चाहत हो ।।

(फ़िर वो मुझसे पुछ ही बैठें की क्या सच में मोहब्बत करते हो)

यू तो मैं दिल के जख्म किसी को दिखता नही हूँ,
कोई राज़ तुझसे छूपाता नही हूँ,
रही बात इश्क़ की तो प्यार करता हूँ,
मगर बताने से डरता हूँ ।।।

Tuesday, September 4, 2018
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
Naila Rais 05 September 2018

Oh! I can relate.... A wonderful poetry penned.....10++++++++++++++++++++ratings.... You may like to read my poems too.. Naila

1 0 Reply
Akash Solanki 21 September 2018

Thank your Naila Rais

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