जय श्री गणेश जी Poem by Ajay Srivastava

जय श्री गणेश जी

सुमरे नाम तुम्हारा शुभारम्भ के लिए
सम्पूर्ण विश्व का एहसास माता पिता के चरणो में दिलाने वाले
बुद्धि का सही समय पर प्रयोग करने की प्रेरणा देने वाले
पल भर में विघ्न और कष्टो को दूर करने वाले
देवो में सर्व प्रथम पूज्नीय जय श्री गणेश जी

Friday, September 18, 2015
Topic(s) of this poem: faith
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