स्वतन्त्रा Poem by Ajay Srivastava

स्वतन्त्रा

Rating: 5.0

जाति धर्म के नाम पर लड़ने के लिए
जगह - जगह गंदगी फैलाने के लिए
भ्रटाचार को बढ़ावा देने के लिए
अपने कर्तव्यों को भूल जाने के लिए
अनैतिक कार्यो को करने के लिए
निर्दोष और असहाय प्राणी जीवन को मारने के लिए
हाँ हमें स्वतन्त्रा / आजादी चाहिए, हर कीमत पर चाहिए स्वतन्त्रा / आजादी
हाँ अब हम शिक्षित हो गए है ।
हाँ अब हम आधुनिक हो गए है ।
हाँ अब हम वैज्ञानिक तकनीक में भी आधुनिक हो गए है ।
हाँ हमें स्वतन्त्रा / आजादी चाहिए हर, कीमत पर चाहिए स्वतन्त्रा / आजादी

स्वतन्त्रा
Wednesday, September 23, 2015
Topic(s) of this poem: freedom
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 23 September 2015

अपने कर्तव्यों को भूल जाने के लिए तथा हर प्रकार के असामाजिक तथा अनैतिक कार्य करने की आज़ादी मांगते हैं तथाकथित शिक्षित व आधुनिक कहलाने वाले लोग. वर्तमान सामाजिक व्यवस्था पर कड़वा कटाक्ष प्रस्तुत करने के लिये धन्यवाद, अजय श्रीवास्तव जी. चित्र के लिए अलग से धन्यवाद.

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