मुझे राजा तुझे रानी बताता है Poem by Lalit Kaira

मुझे राजा तुझे रानी बताता है

ये कागज़ मेरी कहानी बताता है
मेरा ग़म मेरी रवानी बताता है

कितना भोला है मासूम बेचारा दिल
मुझे राजा तुझे रानी बताता है

इन्सान जान लेता है तेरे नाम पर
कभी बलि औ' कभी कुर्बानी बताता है

ऐसा लगता है मुझको भूल गया है
वो शख्स इश्क को नादानी बताता है

झूठ के जूते में पैर रख कर के वो
ललित गाँधी को बेमानी बताता है

Monday, November 2, 2015
Topic(s) of this poem: love and life
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Lalit Kaira

Lalit Kaira

Binta, India
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