मकर संक्राति Poem by Ajay Srivastava

मकर संक्राति

मनुष्यता को समरूपता का संदेश देने वाले|
कर्म है जिनका जन मानस को जगमग करना|
रहते है जो अपने मंडल मे और शान है उनकी अपने मंडल के राजा सामान|

समस्त विज्नयान जगत को अपनी शक्ति मनवाने वाले|
क्रम मे सर्वप्रथम कर्म करने और प्रातः का संदेश देने वाले|
आन और शान जिनकी सबसे अलग|
तिरस्कार कर रोग का सब प्राणीयो को स्फूति देने वाले |

मकर राशी मे जिनका प्रभाव सबसे उत्तम|
आऔ सब मिलकर सूर्य भगवान को जल से नमन करे|

मकर  संक्राति
Friday, January 15, 2016
Topic(s) of this poem: sun
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success