शिक्षत और समझदार हुँ
फिर भी चेतावनी को अनदेखा कर
नशीले उत्पाद का सेवन कर लेते 11
कदम कदम पर कानून और कानून के रखवाले
फिर भी कानून तोड लेते है
और अपनी सुविघा से नियम बना लेते है 11
बात बात पर अपमानजनक भाषा का उपयोग करते है
कभी कोइ यह नही पूछता यह कहाँ से सीखा
उलटा खुद ही बोलने लगते है - क्या पुरुष या महिला 11
रिशवत की बात बहुत निराली है
लेना देना गेरकानूनी है
फिर भी लेने देने वालो की भरमार है 11
यह कैसा पागल पन है
कोन रोकेगा इस पागलपन को
कभी तो इस पागल पन से तोबा कर लो 11
और नही तो पागल पन के इलाज के लिए
अस्पताल खोल दो ताकी कुछ सुघार हो सके 11
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Where is true education Mr Ajay ? Where are we going really? A true question of this time. Thanks for the poem.