दिल Poem by Ajay Srivastava

दिल

ऐ दिल तू कब और कयो कर
इतना सकुचित एवम छोटा हो गया 11
तुझ मे तो सारी दुनीया की दोलत
समा जाने के बाद भी जगह होती है 11
ऐ दिल तू इतनी की बुरी तरह से
घयाल होने के बाबजूद भी
प्यार के दो शब्द बोलने से खुश हो जाता है
फिर भी ऐ दिल तू मुस्काराता है 11
ऐ दिल तू भगवान का हर प्राणी
के दिल में धड़क रहा और
सारे काम बिना भेद भाव के करता है 11
फिर भी ना जाने कयो एक दिल
दूसरे दिल को तकलीफ या चोट
पहुचाने से रूकता नही 11
दिल और दिमाग के बीच संघर्ष एक कारण हो सकता है?
ऐ दिल तू फूल सा है ऐ दिल तू फूल सा ही रहना
प्यार लेना देना बाटना तेरा काम है
ऐ दिल सकुचित एवम छोटा तेरा स्वभाव नही है 11

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