संकल्प Poem by Ajay Srivastava

संकल्प

अनुभवो का विशलेषण कर लिया है|
आधुनिक दिशा को चुन लिया है|

सुनहरे भविष्य का निर्माण करके ही रहेगे|
जाति, धर्म व समप्रदाय का भेद दूर करने का प्रण लिया है|

अब ना कोई इनकी बलि चडेगा |
नयी राह पर कदम अग्रसर होगे|

अब तो सब को जागरूक बनाने की ठान लिया है |

हॉ अब ना भूत काल मे जाएगे|
ना ही वर्तमान मे चलेगे|
हॉ अब तो सुनहरे भविष्य के लिए दोडेगे|

हॉ यही संकल्प हमारा है|

संकल्प
Wednesday, January 27, 2016
Topic(s) of this poem: pray
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