चुटकी भर सिंदूर... Poem by Vikash Ranjan

चुटकी भर सिंदूर...

जबसे भरा पिया मांग तूने,
सपने सुहाने हमने देखा |
चुटकी भर सिंदूर से देखो,
बदल गयी मेरी भाग्य की रेखा |

खिलता यौवन, यौवन का उपवन |
झूम-झूम गाए मेरा मन,
आने वाले हैं देखो सखियाँ,
मोरे सुंदर मन-भावन साजन |
साजन तेरे चेहरे में हर-पल,
संसार का हर रूप देखा |
चुटकी भर सिंदूर से देखो...

मेरा सजना-सवरना,
सब है तेरे नाम पिया |
है मैंने जो भी पाया,
सब कुछ तेरे नाम किया |
तेरी ही बातों की सागर में,
मैंने हर शृंगार है देखा,
चुटकी भर सिंदूर से देखो...

Monday, October 17, 2016
Topic(s) of this poem: love,love and life
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