वास्तविकता को जोड ले Poem by Ajay Srivastava

वास्तविकता को जोड ले

यह असमर्थता नही है |
तुम्हारा छिपी हुई हकीकत है |

यह जो चुपी है |
तुम्हारा छिपा हुआ अहम है |

यह जो विरोध है |
तुम्हारा छिपा हुआ डर है |

यह जो लडखाडते कदम है |
तुम्हारा छिपा हुआ अविशवास है |

यह जो अनेतिकता का साथ निभाने की प्रकृति है |
तुम्हारे शक्तिहीन होने का प्रतीक है |

मनुष्य छिपना छोड दे वास्तविकता को अपने से जोड ले |

वास्तविकता को  जोड ले
Monday, March 7, 2016
Topic(s) of this poem: positiveness
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