शायरी Poem by Larika Shakyawar

शायरी

Rating: 3.5

दमकता शायर
दिग्गज ही ना सही,
ना खिताब की चाह
माना नाम ही सही |
दिल में उठे तूफानों को थमा दे,
वो जरिया इक ही |
बेशकीमती तोहफा जिन्दगी का,
शायरी-ए-नायब तरकीब ही सही |
जो जज्बातों को बयां कर सके,
वो कागज कलम अनमोल ही सही |

Wednesday, March 16, 2016
Topic(s) of this poem: writing
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Larika Shakyawar

Larika Shakyawar

Rajgarh M.P., India
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