हम है Poem by Ajay Srivastava

हम है

वो नफरत मे भी प्यार को ढुंड लेते है|
हम प्यार मे भी नफरत को ढुंड लेते है|

वो फूलो मे खुशबू महसूस कर लेते है|
हम खुशबू मे फूलो का अहसास नही कर पाते|

वो दुशमनो मे दोस्तो को पहचान लेते है|
हम तो दोस्तो मे दुशमव ढूंडते रह जाते है|

वो अंधेरो मे भी रोशनी की किरण देख लेते है|
हम है कि रोशनी मे अंधेरो को नही देख पाते|

वो खुशी मे आसू को बहा देते है|
हम तो दुख मे भी मुसकरा देचे है|

हम है
Sunday, June 5, 2016
Topic(s) of this poem: ideals
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Ajay Srivastava

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