हम बच्चे नही Poem by Ajay Srivastava

हम बच्चे नही

समय है प्रण करने का|
भ्रष्टाचार मुक्त तंत्र बनाने का|
बडती कीमतो पर नियत्रंण करने का|
नागरिक सुविधाऔ को सामन्य जन तक पहुचाने का|
कानून का विशवास कायम करने का|
समाजिक बुराईयो को दूर करने का|
एक नवीन जोश और स्फूर्ति उत्पन्न करने का|
एक आधुनिक व्यवस्था स्थापित करने का|
भारत को कदम बढाना है, प्रगति की राह पर चलने का|
हम बच्चे नही, हम है भारत लोकतंत्र के उतरदायी नागरिक |

हम बच्चे नही
Wednesday, June 15, 2016
Topic(s) of this poem: awakening
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Ajay Srivastava

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