चुप व शांत Poem by Ajay Srivastava

चुप व शांत

उसने हमें सोचने को विवश कर दिया।
उसने हमें अपना दिल टटोलने के लये विवश कर दिया।
उसने एक एहसास को जन्म दे दिया।
उसने उसके दिल और हमारे दिल की शक्ति को तोलने को विवश कर दिया।

कुछ तो दुःख होगा, कुछ तो पीड़ा होगी।
जो असहनीय और बाहर आने को आतुर होगा।
आखिर इसको कमजोरी कहु या फिर उम्दा अनुभव कहू।
आखिर कैसे उसके भावो को शब्दो की शक्ल दू।

क्यों कर वो किसी प्रतिकिर्या व्यक्त नहीं कर पाता।
क्यों कर उसके चुप व शांत स्वभाव को उम्दा अनुभव कहु।

चुप व शांत
Tuesday, February 14, 2017
Topic(s) of this poem: affection
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