अब और नही|
अब तो रोकना है|
अब नीरसता को छोडना होगा|
अब तो सजगता का साथ निभाना है|
जाति व धर्म की लडाई|
बेल की तरह बडती कीमते|
धनवान और निर्धन की असमानता को|
बडती धृणा की राह को|
अब तो शब्दो की परिभाषा को समझना है|
यही हम सब की राह की दिशा के मार्ग दर्शक है|
शब्द ही मूर्ख बनाते है|
शब्द ही क्रोधित करते है|
शब्द ही धृणा फेलाते है|
शब्द ही प्यार का स्त्रोत है|
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