ऐ नादान प्राणी दिल के टुकड़े मत कर|
दिल के टुकड़े हुए तो धड़कन थम जाएगी|
धड़कन न हुई तो भाव भी न होंगे|
भाव न होंगे तो सम्बन्ध भी न होगा|
ऐ दिल थोड़ी जगह तो माँ को दे|
हर सम्बन्ध का जन्म माँ से है|
ऐ कठोर दिल धरती माँ भी तो तेरे दिल में जगह की अभिलाषी है|
ऐ मनुष्य दिल को बाटने की बात मत कर|
ऐ मानव क्यों करता है दिल को बाटने की बात|
ऐ इंसान दिल की विशालता मत कर कम|
ऐ प्राणी दिल से ही तो तेरा अस्तित्व है|
ऐ मनुष्य दिल से ही तेरी पहचान है|
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem