ऐ भ्रष्टाचार Poem by Ajay Srivastava

ऐ भ्रष्टाचार

बच्चे मॉ बाप को छोड सकते है।
पति पत्नी को व पत्नी पति को छोड सकती है।

सम्बन्धी आपसी सम्बन्ध छोड सकते है।

दोस्त दोस्ती छोड सकते है।


फोजी देश के लिए अपना जीवन छोड देते है।


प्रशासनिक अधिकारी नियम पर चलना छोड सकते है।
जाच अधिकारी दोषी को छोड सकते
न्याय करने वाले सविधान व धाराओ को छोड सकते है।
व्यपारी अपना लाभ छोड सकते है।

चिकित्सक और वकील फीस छोड़ सकते है।
मजदूर अपनी मजदूरी छोड सकते है।
मजदूर सगठन हडताल करना छोड सकते है।
सेवा कर्मी अपना वेतन छोड सकते है।


हीरे जवाहरत के मोह को छोड सकते है।
अपने ऊपर अन्याय करने वाले को छोड़ सकते है।

अन्याय सहन करना छोड सकते है।

नफरत करना भी छोड़ सकते है।



नशा करने वाले नशा छोड़ सकते है।

अशांति फैलाने वाले अशांति फैलाना छोड़ सकते है।


नेता वर्ग कुर्सी का मोह छोड़ सकते है।

विभिन्न राजनीतिक दल आपसी विरोध करना छोड़ सकते है।


तू ही भग्य वाला है।

तू ही सारे हिंदुस्तान का न चाहते हुए भी चहेता है।

सिर्फ तुम, केवल तुम ही हो जिससे सारा हिन्दुतान का प्यार मिल रहा है।

किसी को प्यार, तो किसी को नफरत मिलती है।

ऐ भ्रष्टाचार, तुझे तो समूचे हिंदुस्तान से प्यार मिलता है।

ऐ भ्रष्टाचार, तू ही जिसे कोई भी हिंदुस्तानी नहीं छोड़ सकता।

ऐ भ्रष्टाचार, तू ही हिंदुस्तान का लाडला है ।

ऐ भ्रष्टाचार, तू ही हर जीत का हक़दार है।

ऐ भ्रष्टाचार, तेरे बिना हिंदुस्तान का जीवन ही नहीं है।

ऐ भ्रष्टाचार, तू ही अपवादों की खिल्ली उडाता है।

ऐ भ्रष्टाचार
Saturday, September 24, 2016
Topic(s) of this poem: corruption
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