समय हुँ Poem by Ajay Srivastava

समय हुँ

क्या नेता क्या अभिनेता
या हो युवक या हो युवती
चाहे हो शक्तिशाली और बुद्धिमान
चाहे हो धन का भंडार 11
कमजोर और असहाय
तो बहुत दूर की बात है
धनी, शक्तिशाली और बुद्धिमान
सब के सब हाथ मलते रह जाते है 11

दिन रात सुबह शाम
या हो आंधी और तूफान
ना कोई मुझे रोक सकता
ना कोई मुझे थाम सकता 11
मे हुँ तुम्हारा समय
फिर भी ना जाने क्यों
मानव /व्यक्ति इतना अभिमान करता है
देर से या जलदी समझना आपका समय हुँ 11

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Ajay Srivastava

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