गौरवमयी देश Poem by mahender Talwara

गौरवमयी देश

अद्भुत इतिहास लिए
गौरव गीतोँ से लथपथ
जिस पर सचमुच गर्व किया जाए
ऐसे गौरवमयी देश,
भारत का मैँ सपुत हुँ।
किस ओर चलोगे तुम?
है सब समाहित इसमेँ
ग्यान, यश, वीरता, सुंदरता
किसका है महत्व तुम्हारे लिए?
परन्तु यहाँ इन सभी का महत्व
है सचमुच मेँ एक-सा
ऐसे सर्वगुण संप्पन देश,
भारत का मैँ सपुत हुँ।
ग्यान है इतना के सब जग सीखा
यश इसका चहुँ और है फैला
वीर राजा वीर पुरुष हुए यहाँ
वर्णन इसका क्या करुं अकेला
सुंदरता है इतनी अद्भुत
धरती पर ही स्वर्ग बसाए
ऐसे सुँदर देश,
भारत का मैँ सपुत हुँ।
साहित्य इसका बेजोङ गढा है
आदि से अंत लिखा पङा है
प्रेमचंद से स्तम्भ हुए हैँ
खुब गर्व से तना खङा है
ऐसे साहित्य से परिपुर्ण देश,
भारत का मैँ सपुत हुँ।।

Tuesday, January 31, 2017
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
mahender Talwara

mahender Talwara

talwara khurd, teh. Ellenabad
Close
Error Success