निर्भर Poem by Ajay Srivastava

निर्भर

सुखे पेड हरे भरे हो
छाया का सुखद अनुभव
व फल का आनंद मिलता
किसानो के मुरझाये चेहरे
पर रोनक आ जाती और
अच्छी फसल का आ आनंद जाता
अगर वर्षा एक बार पर आ जाती 11

ट्यूबवेल की अनुमति मिल जाती
कुछ घंटे बिजली आ जाती 11

अपनी एक छोटी सी नहर मे पानी आ जाता
फसलो व बीजो के विज्ञान का ज्ञान की
वर्षा एक बार कर दी जाती
अच्छी फसल का आ आनंद जाता 11

अंतर क्या दोनो की चाह मे
एक प्रकृति
दूसरा प्रशासन
की चाह मे हैं 11

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