प्रतिपल Poem by Ajay Srivastava

प्रतिपल

पल, पल प्रतिपल
आँख से निकली वो बूंद
अगले पल हरी हरी घास
मे कब वह मोती बन गई 11

न जाने ऐसे कितने पल
अगर एकजुट हो कब वह
नदी का रूप ले ले
कब वो हमारी प्यास बुझा दे
या फिर कब वह जीवन रुपी
नाव को पार लगा दे 11

पल, पल प्रतिपल का अर्थ है
आवश्यकता है उस पल को समझने की 11

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