तेरी मुस्कान Poem by Ajay Kumar Adarsh

तेरी मुस्कान

तेरी मुस्कान पे जां दूं सस्ती लगे!
तेरी आंखो की मद से मस्ती लगे!
होती हलचल है हरपल मेरे दिल में अब
अपनी दुनियॉ भी तुझमे सिमटती लगे!
कैसे उपमा करू मैं तेरे अक्श की
जमीं क्या ये अम्बर भी घटती लगे!

Saturday, July 1, 2017
Topic(s) of this poem: beauty
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Ajay Kumar Adarsh

Ajay Kumar Adarsh

Khagaria (Bihar) / INDIA
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