माप- दंड Poem by Ajay Srivastava

माप- दंड

पहले चुनरी और साडी भी कम पडती थी
अब तो आधुनिक नारी को मिनी स्कर्ट भी बहुँत ज्यादा लगती है
पहले एक पुरष को एक नारी से संतुष्टि हो जाती थी
अब तो एक पुरष अनेक नारी से भी संतुष्टि नही होती
पहले नशीले और मादक उत्पाद पर पुरष का एकाअधिकार होता था
अब तो नारी ने हम किसी से कम नही का नारा अपनाकर पुरष का एकाअधिकार तोडा
हाँ सब कुछ बदल गया पर नही बदले तो
नेतिकता या अनेतिकता की परिभाषा और उसके माप- दंड 11

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