दोषारोपण Poem by Ajay Srivastava

दोषारोपण

असक्षम हम होते है
हमारे मे छिपी कमजोरी बाहर निकल
सामने वाले को सक्षम बना देती है 11
दोष हमारा होता है नादान हम होते है
अपवाद हमेशा से रहे हैं
और कटधरे मे खडी हो जाती है हमारी किस्मत 11
बस थोडा सा साहस, बहुँत सारी मेहनत
और विशवास रुपी अमृत की कुछ बूंदें
जेसे हर रात की सुबहँ होती है
उसी तरह असफलता को एक दीए की रोशनी
दिखाने से सफलता राह मे खडी नजर आती है11
सब मिलकर बोलो एकजुट होकर बोलो
हम बनाएगे एक नया आधुनिक भारत 11

COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success