वक़्त है और वासना Poem by Ajay Kumar Adarsh

वक़्त है और वासना

वक़्त है और वासना
अब कोई विश्वास ना!
इंसानों की इस बस्ती मे
रक्त पे भी आश ना!
कौन है अपना?
कौन पराया?
कोई नहीं जो ये बतलाया!
सबने अपना मन बहलाया!
टूटे सारे रिश्ते नाते
अब कोई भी खास ना!

Tuesday, October 10, 2017
Topic(s) of this poem: relationship,relationships,time,world
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Ajay Kumar Adarsh

Ajay Kumar Adarsh

Khagaria (Bihar) / INDIA
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