साहेब हैं बड़े दयालु मन-मानी दे रहे हैं! Poem by Ajay Kumar Adarsh

साहेब हैं बड़े दयालु मन-मानी दे रहे हैं!

*********************************
पुरे राष्ट्र को किर्ती-मान कहानी दे रहे हैं!
जो देखा नहीं पहले सब निशानी दे रहे हैं!
कभी-कभी आंखों का भी पानी दे रहे हैं!
साहेब हैं बड़े दयालु मन-मानी दे रहे हैं!


साहेब आज़कल बड़का औघर-दानी बन खड़े हैं!
चाय में दूध कम ज्यादा-ज्यादा पानी दे रहे हैं!
साहेब बेरोज़गारी-गरीबी से तूफ़ानी लड़ रहे हैं!
विकास आँचल थामे चोली में अंबानी के पड़े हैं!


वादे टूट-फूटे स्वप्निल-नूरानी हो रहे हैं!
विदेशी-टूर फ़ुर्र करके आकाशवाणी हो रहे हैं!
कभी राम की कहानी ना पुरानी हो रहे हैं!
ख़ाली-पिली राम की अगुवानी हो रहे हैं!
*********************************

Wednesday, December 13, 2017
Topic(s) of this poem: political,political humor,political utopia
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Ajay Kumar Adarsh

Ajay Kumar Adarsh

Khagaria (Bihar) / INDIA
Close
Error Success