कांग्रेसीयों-भाजपाईयों के लिये Poem by Ajay Kumar Adarsh

कांग्रेसीयों-भाजपाईयों के लिये

कांग्रेसीयों के लिये: -

लिजीये साहब आप रिहा हो गये
2-जी का कलंक आपके माथे से अलविदा हो गये
चलो ये सब तो ठीक है, मगर उसका क्या करोगे
जिस कोयला के धुऑ से मुँह काला हो गये

भाजपाईयों के लिये: -


ढोल, तांसे चाहे नगाड़ा बजाईये
जांच चाहे फिर से दोबारा कराईये
राग अलापीये जी कोई और दूसरा
2-जी,3-जी का ना पहड़ा सुनाईये

Sunday, December 24, 2017
Topic(s) of this poem: political,political humor,political utopia,politics
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Ajay Kumar Adarsh

Ajay Kumar Adarsh

Khagaria (Bihar) / INDIA
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