मेहंगा हुआ प्यार सस्ती हुई जुदाई Poem by Sumit Ojha

मेहंगा हुआ प्यार सस्ती हुई जुदाई

मेहंगा हुआ प्यारी
सस्ती हुई जुदाई
दिल चीर के लिख दो
अजब है ये खुदाई.

पर एक डर है कि
अगर तुम गुसे मैं आई
फिर ना जाने कहा पर:
मिल जाये ये तन्हैया.

कल का सवेरा क्या होगा
ये आज न बता सकोगे
भूल जाओ हम तो
खुद को क्या याद दिलाओगे.

हम तो प्रेमी प्यार में
हर गम से जाएंगे
कल तुम जो न मिले तो
किसी और को बुलाएंगे.

दिल है नज़ुक प्यार मैं
तुम ने तोड़ा होगा बोहतो का
रो रही है कितनी ये नज़र
दर्द इनका हम समझेंगे.

सच कहा है किसी ने
मिट जाते हैं प्यार से
काई प्रेमी काई मजनू
पागल है तेरे याद मैं.

क्यूंकि
मेहंगा हुआ प्यार सस्ती हुई जुदाई.

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Sumit Ojha

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Ahmedabad
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