कोई रूठा हुआ है कोई बिखरा हुआ है
आँखों का पानी पलकों पर ठहरा हुआ है
चाँद भी उदास है ये रात भी ग़मगीन है
मेरे घर से उसके घर तक सन्नाटा पसरा हुआ है
खिड़की से झाँकता सितारा भी हैरान है
आज क्यों महताब का चेहरा उतरा हुआ है
बहुत शोर है इस शहर में पर दिल ख़ामोश है
दिल तो पागल है साहब सदियों से बहरा हुआ है
नज़र नहीं आता अब, राज, कहाँ गया है
सुना है उसे ज़ख्म बहुत ही गहरा हुआ है
राज स्वामी(राजेश)
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