कोई रूठा हुआ है Poem by Raj Swami

कोई रूठा हुआ है

कोई रूठा हुआ है कोई बिखरा हुआ है
आँखों का पानी पलकों पर ठहरा हुआ है

चाँद भी उदास है ये रात भी ग़मगीन है
मेरे घर से उसके घर तक सन्नाटा पसरा हुआ है

खिड़की से झाँकता सितारा भी हैरान है
आज क्यों महताब का चेहरा उतरा हुआ है

बहुत शोर है इस शहर में पर दिल ख़ामोश है
दिल तो पागल है साहब सदियों से बहरा हुआ है

नज़र नहीं आता अब, राज, कहाँ गया है
सुना है उसे ज़ख्म बहुत ही गहरा हुआ है

राज स्वामी(राजेश)

Tuesday, August 20, 2019
Topic(s) of this poem: love,love and dreams,love and friendship,love and life
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दिल के जज़्बात आपके साथ
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