बरस Poem by Raj Reader

बरस

बरस के पन्ने पे वो बात लिखा था
गम चला गया; दर्द बाकी था
काफी अरसे पहले मेरे साथ भी हुआ था
अचानक बारिश आई
लम्बे सांस चले
हमने भीगा था

Friday, August 30, 2019
Topic(s) of this poem: verse
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