लोग किस्से बनाने को गुमनाम रहते है! ! ! Poem by Yashvardhan Goel

लोग किस्से बनाने को गुमनाम रहते है! ! !

यहाँ हाल पूछने की चाहत रहती है किसको!
लोग बस खुस्की लेने में मशगुल रहते है!

किसी की खुशियों की चाहत रहती है किसको!
दर्द देने की आदत से मजबूर रहते है!

यहाँ ख़ामोशी की कद्र रहती है किसको! !
लोग बेबाक रहने को बेताब रहते है! !

किसी की चाहत की परख होती है किसको
सिने में दफ़न राज कितने रहते है! ! !

यहा होश रखने की आदत रहती है किसको!
लोग अपनी शरारत में मदहोश रहते है! ! !

अपनी दुनिया की खबर रहती है किसको!
लोग किस्से बनाने को गुमनाम रहते है! ! !

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