वो ख्याल से निकलकर Poem by Yashvardhan Goel

वो ख्याल से निकलकर

वो ख्याल से निकलकर, मेरे जज्बात का उतरना
उस एहसास से लिखे कागज पर, मेरे आंसुओ का गिरना
उस पल में मेरे दिल का, यूँ तार तार होना
जिस पल में मुझको मेरी वफ़ा का अंदाज होना

मेरी ख्वाहिशो की कश्ती का, कोई किनारा ना होना
मेरे अरमानो के पंखो को, बादल का सहारा होना
उस आसमां का मुझपे, तो इख़्तियार करना
मेरी मुहब्बत का मुझपे, ना इख़्तियार करना

वो होंटों से निकलकर, मेरी सांसो का गुनगुनाना
उस गले से निकलकर, मेरी आँखों का भर आना
उस लम्हे में मेरा यूँ बेक़रार होना,
जिस लम्हे में मुझको, मेरी धडकनों का पढना

तो मुझको मेरे दिल का, कागज का बना चाहना
और दर्द के साथ उस, कागज को मेरा जला आना
मेरे आंसुओ की बूंदों से यूँ, एहसासों का छिटकना
जिन गमो से मिले आंसू, उनका जमाने में खोना...

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