कहीँ में रख लूँ इस दिल को छुपा के, Poem by Yashvardhan Goel

कहीँ में रख लूँ इस दिल को छुपा के,

कहीँ में रख लूँ इस दिल को छुपा के,
कुछ ऐसा लग रहा है तुझसे नजरें मिलाके!
गर हो गयी मुहब्बत तो कह भी न सकूँगा,
दर्द तेरा ले जाये न इस दिल को चुरा के..!

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Yashvardhan Goel

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