पर तू नहीं है, हाँ तू नहीं है Poem by Shiv Abhishek Pande

पर तू नहीं है, हाँ तू नहीं है

साँसे है अभी भी
कुछ धड़कन है मद्हम
पर तू नहीं है, हाँ तू नहीं है

एक खालीपन है
एहसासों की ख़ामोशी है
पर तू नहीं है, हाँ तू नहीं है

वो जो मेरे तेरे अरमानो की दुनिया है
वो वहीं है
पर तू नहीं है, हाँ तू नहीं है

वक़्त अब थमता नही है
गुजर रहा है तन्हाई मे
पर तू नहीं है, हाँ तू नहीं है

मेरे जस्बातों मे
तेरे न होने का सबब है
पर तू नहीं है, हाँ तू नहीं है

हर सेहर जब ख्वाब से
हकीकत होती है
पर तू नहीं है, हाँ तू नहीं है

तेरी यादों से उलझता हूँ
हर शाम वीराने मे
पर तू नहीं है, हाँ तू नहीं है

तेर होने से ही
मेरा मै होना मुमकिन है
पर तू नहीं है, हाँ तू नहीं है

तेरी आदत नहीं है मुझे
तू मेरी इबादत है
पर तू नहीं है, हाँ तू नहीं है

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