कुछ वक़्त.... Poem by Ritika Abigail

कुछ वक़्त....

कुछ वक़्त ही तो माँगा है,
दे दे कुछ उधार, ऐ ज़िन्दगी
कुछ साथ बाक़ी रह गया
कुछ बात अधूरी अनकही।

साथ मेरे गऱ वो हुए
सब कुछ लौटा दूँगी तुझे
कुछ वक़्त ही तो माँगा है
क्यों है मुझसे ये नाराज़गी ।।

#DreamsVsTime
#RA

Sunday, June 8, 2014
Topic(s) of this poem: life
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