टोकनी Poem by Ashok Vajpeyi

टोकनी

यकायक पता चला कि टोकनी नहीं है
पहले होती थी
जिसमें कई दुख और
हरी-भरी सब्ज़ियाँ रखा करते थे
अब नहीं है...
दुख रखने की जगहें
धीरे-धीरे कम हो रही हैं ।

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