सनम मेरा चुनिंदा है चलो अब लौट आओ तुम Poem by Abhishek Omprakash Mishra

सनम मेरा चुनिंदा है चलो अब लौट आओ तुम

सनम मेरा चुनिंदा है चलो अब लौट आओ तुम
हमारा इश्क़ जिन्दा है चलो अब लौट आओ तुम
तेरे चुपके से जाने की बजह अब तक नहीं समझा.
उलझन में परिंदा है, चलो अब लौट आओ तुम.

Sunday, November 16, 2014
Topic(s) of this poem: love and pain
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