हिंदुस्तान का दिल Poem by Ajay Srivastava

हिंदुस्तान का दिल

देश में व्यापत भ्रष्टाचार की गर्मी से छुटकारा दिलाने वाला चाहिए।
देश में व्याप्त अनैतिकता की गर्मी से छुटकारा दिलाने वाला चाहिए।
देश के लोगो में व्यापत अहम की गर्मी से छुटकारा दिलाने वाला चाहिए।
मेरे हिंदुस्तान को पानी पिलाने वाला चाहिए।


कानून की पुस्तको में लिखे नियमो का अनुपालन करवाने वाली मेज़ व् कुर्सी चाहिए।
देश में व्यापत कूड़ा करकट की दुर्गन्ध दूर करने वाली मेज़ व् कुर्सी चाहिए।
जन कल्याण की नीतियों को गांव गांव तक पहुचने वाली मेज़ व् कुर्सी चाहिए।
देश के हर नागरिक कुछ कदम नहीं तो, दो चार कदम चलने होंगे
सिर्फ अकेला देश का नहीं, सारे नागरिको का योगदान चाहिए।

हर कार्य का किर्यान्व्यन के अकड़े पहुचाने वाला चाहिए।
हर शिकायत को सुनने वाला चाहिए।
हर नीति पर वास्तविकता पर कार्य करने वाली प्रणाली चाहिए।
मेरे हिंदुस्तान को प्रशाशन तंत्र चाहिए।


देश हित की प्रश्न हो तो छोटे मुँह को डंके की चोट पर बोलने वाला चाहिए।


तभी तो हमारे भारतवर्ष का दिल धडकेगा।
क्योकि तुम ही हो जनतंत्र की धड़कन।
कहो ना जनतंत्र से प्यार है।
मेरा हिंदुस्तान का दिल यह सुनने को बेकरार है।

हिंदुस्तान का दिल
Thursday, September 29, 2016
Topic(s) of this poem: heart
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Ajay Srivastava

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