सिर्फ़ शब्दों से नहीं Poem by Ashok Vajpeyi

सिर्फ़ शब्दों से नहीं

सिर्फ़ शब्दों से नहीं,
बिना छुए उसे छूकर,
बिना चूमे उसे चूमकर
बिना घेरे उसे बाँहों में घेरकर,
दूर से उसे पँखुरी-पँखुरी खोलते हुए
बिना देखे उसे दृश्य करते हुए
मैंने उससे कहा।

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