जीवन की आख़िरी सांस तक
खतम न होगी खोज तुम्हारी
नव जीवन के नव प्रकाश मे
जाने की मेरी तैयारी I
देखूँगी नूतन द्र्श्य वहाँ
आलोक नया मै पाऊँगी
साथ तुम्हारे महा मिलन के
बंधन मे बंध जाऊँगी I
कहीं नहीं है अंत तुम्हारा
खत्म न होगी खोज तुम्हारी
नित नवीन लीला रचते तुम
हर लीला लगती है प्यारी II
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem