समय Poem by Shobha Khare

समय

क्यों परेशान समय से, समय है पहेलवान
बड़ो - बड़ो के समय ने काट दिये है कान
समय न बिकता है कभी कौन चुकाए दाम
समय किसी का न होता गुलाम I
आता सबका शुभ समय फिर काहे को रोये
लिख के रख ले एक दिन काम तुम्हारा होए
समय आयेगा समय पर इसको निश्चित जान
समय से पहले किसी को नहीं मिला सम्मानII

Monday, January 12, 2015
Topic(s) of this poem: life
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