समंदर की लहरें उफान पर थीं,
एक समंदर दिल के अंदर भी है |
काग़ज़ पर उसे उतार नही पाता,
बेग़रज़ जवानी भी तूफान में है |
तुम्हारे होने को कबसे बेक़रार बैठा है,
निगाहें दूर उस पार तुम्हारी तलाश में है |
तुम हो तो मैं हूँ,
वरन मेरा होना भी बेकार सा है |
इश्क़ की लहरें बढ़ती हीं जाती हैं,
कोई सुनामी शायद इसके ख्याल में है |
सूखी प्रथाओं के बेजान दरख़तों से,
इस सुनामी को कुछ इन्तेक़ाम सा है |
ये दिल बड़ा परेशान सा है |
ये दिल बड़ा परेशान सा है |
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