तुझे भी एहसास हैं... Poem by Kamal Meena

तुझे भी एहसास हैं...

तुझे पाने की ज़िद तो कभी थी ही नहीं
बस तुझे खोना नहीं चाहता
शायद मेरे कहने का अंदाज ग़लत हो
पर तुझे भी एहसास हैं
मेरा हर इक लफ्ज़ दिल से निकला...

हाँ दर्द भी होता हैं
तू समझ तक नहीं पाया
ये दिल क्या चाहता हैं
या फिर समझ के भी अनजान हैं...

जब भी बात दिल की
तूने बड़ी आसानी से नज़रअंदाज कर दिया
तुझे एहसास तो हैं मेरी हालत का
इस दर्द से तू भी गुजरा हैं...

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