जैसा मन वैसा मनुज दर्पण यह संसार
अपनी ही छवि देखता इस मे बारंबार
करुणा तो उपचार है अति भावुकता रोग
कहते जिसे विवेक बुद्धि भावना योग
तुलना मत कर किसी से तुलना करना पाप
संस्कार सबके अलग, अलग सत्य का जाप
भावुकता संवेदना करती है नुकसान
इस युग मे तो सफल है पत्थर दिल इंसान II
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem