रक्त Poem by Ajay Srivastava

रक्त

छोटे से मासूम दिल की
सकरी और पतली गली से निकल कर
हाथ और पेरो की नाड़ी में से होकर
जब यह स्वच्छ रक्त दौड़ता है
तब सम्पूर्ण शरीर को ताजगी और
स्फूर्ति का एहसास करा देता है ।

यही रक्त जब शरीर से बहार निकलता है
तो जीवन दान का एक रूप हो जाता है ।

Saturday, May 2, 2015
Topic(s) of this poem: blood
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